देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
क्लीङ्कारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥ ८ ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
नवरात्रि के नौ दिनों तक इसका पालन करना होगा तभी ये पूर्ण फल प्रदान करेगा.
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
It is best to make certain that you don’t recite it with any unwell thoughts or with any unfavorable intentions.
Swamiji says, “A persuasive desire is something which makes us rise up also to the fullest capability assert ourselves to your furtherance from the target. here The important thing will be to give attention to the mantras.”
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
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